Sunday, August 3, 2014

Skill development for less educated people

शुरू से इस बात पर ध्यान देने की जरूरत है, दसवी के बाद वो लोग:
* जिनका पढ़ाई में मन नहीं लगता
* जो आगे पढ़ नहीं सकते
* जिनको इंजीनियर डॉक्टर प्रोफेसर बनने में कोई इनट्रेस्ट नहीं

ऐसो के लिए ६ मंथ कोर्स जिसमे मोबाइल, होम एप्लायंसेज, बाइक, कार, सड़क निर्माण, कंस्ट्रक्शन, फ़ूड, सिलाई, कड़ाई, बुनाई बगैरह की प्रैक्टिकल क्लास  के साथ टाइम मैनेजमेंट, कम्युनिकेशन, मोटिवेशन की क्लासेज हो बस 80% पापुलेशन कवर. ये काम PPP के तहत किया  जा सकती है.


Saturday, February 15, 2014

केन्द्र के चुनावों मे छोटे क्षेत्रीय दलों को वोट ना दें.

सबसे पहले थोडा ये देखना पडेगा की चुनाव होते कैसे हैं। हमारे देश मे अगर मान लीजिये किसी सीट पर 100 वोट हैं और अगर 20 प्रत्याशी लड रहे है अब सबको अगर 18 को 5-5 वोट मिल जायें और 1 को 6, 1 को 4 मिल जायें तो 6 वाले को जीता हुआ माना जता है। जिस प्रत्याशी को 100 मे से केवल 6  लोग पसन्द करते हों वो 100 पर राज़ कैसे कर सकता है। इसका समाधान ये है की 51 वोट जब तक किसी को ना मिल और जिसे सबसे कम वोट मिले हैं उसे उसी चुनाव मे दोबारा लडने पर रोक लगे जाये चुनाव होते रहने चाहिये।

अब जब तक ऐसा नहीं हो जाता ताब तक क्या करें. या तो ऐसे ही चलने दें या फिर जो हम कर सकते हैं वो करें। हम क्या कर सकते हैं?

 जब केन्द्र के चुनाव होते हैं तो सिर्फ अपना अपना देखने से बात नहीं बनती, अभी क्या हो रहा है की हर कोई केन्द्र का चुनाव लड रहा है और कुछ ना कुछ वोट ले रहा है, होता क्या है ऐसे मे की कोई भी जो उस काबिल नहीं है वो उस कुर्सी तक पहुंच सकता है। मान लीजिये हम हर क्षेत्रीय पार्टी को कुछ सीटे जिता दें फिर क्या होगा सब अपस मे लडेंगे, और इसका फायदा बहरी देश उठाएंगे, कभी कोई ठोस निर्णय नहीं हो पायेगा, हमेशा उहापोह की स्थिति बनी  रहेगी।

समस्या ये है की हम हर चीज़ का राजनीतिक समाधान खोजते हैं जबकी बहुत सरी चीज़े समाजिक ज्यादा हैं राज़नीटिक कम। आंदोलन से देश को जितना फायदा होता है खुद चुनाव लडने से नहीं होता. ऐसा नहीं है की चुनाव नहीं लडना चाहिये या पार्टी नहीं बननी चाहिये, ये ठीक है लेकिन अगर कोई अपने क्षेत्र को अपने राज्य को अच्छा शासन नहीं दे पा रहा है और बात देश की करे तो ये भी ठीक नहीं. अगर कोई पार्टी अलग अलग क्षेत्रों मे खुद को सबित करती है तभी उसे केन्द्र के चुनाव मे वोट करना चाहिये।

बात सिर्फ इतनी है की केन्द्र के चुनाव के लिये ट्रैक रेकॉर्ड्स देखना बहुत ही जरूरी है और ये भी जरूरी है की कहीं ये पार्टी सिर्फ किसी एक क्षेत्र तक तो सीमित नहीं है। कम से कम २ अलग अलग क्षेत्रों मे अगर पार्टी ने अच्छा काम किया है तो हम बेशक उसे चुन सकते हैं। अगर हम हर एक को जो कुछ ना कुछ दे देंगे तो संसद मे सिबाय सब्जी मंडी के कुछ नहीं होगा। बिधान सभा और लोक सभा को अलग अलग नज़र से देखा जना चाहिये.

तो ऐसे दल जिन्होंने कम से कम २ राज्यों में सरकार चलाई है और अच्छा काम किया है उसमे से किसी को भी केंद्र के चुनाव में वोट दिया जा सकता है। 

Sunday, December 15, 2013

पैसा कमाना आसान है पर खर्च करना मुश्किल है.

पैसा कमाना आसान है पर खर्च करना मुश्किल है.

इस बात को ऐसे न लिया जाये कि ये गरीबों का मज़ाक है पर एक बात तो माननी पड़ेगी कि गरीब दो बजह से गरीब है एक वो खुद बजह से और एक दुसरे कि बजह से. अब ये बात भले ही अजीब लगे लेकिन पता जब हम अपने चारो ओर देखेंगे तो आपको ऐसा मिल जायेगा।

दूसरों कि बजह से गरीब वो हैं जो तेज़ तर्रार नहीं  हैं, जुगाड़ू नहीं हैं उन्हें नहीं पता अपना काम कैसे निकला जाता है चाहे सिस्टम कैसा भी हो वो बस अपना काम करते रहते हैं.

खुद कि बजह से गरीब वो हैं जो कुछ काम करना नहीं चाहते। वो काम भी नहीं जिसमे पैसे नहीं लगते जैसे सुबह जल्दी उठना, वाक पे जाना, ,सफाई रखना, खूब पानी पीना, बीवी बच्चों को न पीटना, बीड़ी न पीना आदि।  

अगर इंसान फ्री वाले काम नियम से करे और पैसे कमाने का प्रयास करता रहे तो कमा सकता है।

अब बात आती उनकी जो पैसा कमाने लगे हैं, जॉब लग गयी है, बिज़नेस चल गया है, तरक्की के रास्ते खुल गए हैं, मतलब वो लोग जिन्होंने वो शुरूआती सफ़र तय कर लिया है। जब इंसान यहाँ आ जाता है तब एक नयी मुश्किल शुरू होती हैं. यहाँ पर प्रश्न आता है कि पैसे को खर्च कैसे करें, बहुत बड़ा प्रश्न है ये कि पैसे खर्च कैसे करें?

जबाब मुश्किल है और ये मैटर इन्वेस्टमेंट का नहीं है। क्या सिर्फ अपनी जरूरतें पूरी करने में?